Pages

Saturday, July 9, 2016

कुछ हम चले कुछ तुम

कुछ हम चले कुछ तुम


अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया
कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया

आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया
कभी  वो  हंस पड़े  कभी मैं मुस्करा दिया

रूठ कर बैठे  रहने से  घर भला कहाँ चलते हैं
कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी मैंने मना लिया

खाने पीने  पे  विवाद कभी होने  ही  न दिया
कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया

मीया हो या बीबी महत्व में कोई भी कम नहीं
कभी खुद डॉन बन गए कभी उन्हें बॉस बना दिया

For All Couples

साभार : अज्ञात । नोट : मेरी रचना नही है ।।

Wednesday, January 6, 2016

ये जिन्दगी.....

  ये जिन्दगी ......

बेखबर ,बेसबर, बेबाक ये जिन्दगी 
हंसती ना हंसाती ये जिन्दगी
चिराग नही जिसे जला दूं,
दुबारा हाथो से फिसल जाती ये जिन्दगी

Tuesday, July 28, 2015

एक शुरुआत , एक आशा

 


एक शुरुआत नई जिंदगी के जीवन की,

एक शुरुआत नये भविष्य के उज्जवलता की ।

Friday, October 4, 2013

सिलसिला .....



सिलसिला  वफाओ का एक नया ही चलाया मैंने...


सिलसिला  वफाओ का एक नया ही चलाया मैंने ,

न उसे याद ही रखा न ही भुलाया मैंने,

हंसी उतार कर चेहरे से फ़ेंक दी लेकिन , 

फिकर-ए-यार मैं कोई अश्क नहीं  बहाया मैंने ,

Saturday, June 1, 2013

दोस्ती.....




 जिंदगी जीना इसी का नाम हैं 

हँसते हुए बीते वोही एक सुहानी शाम हैं,

यही तो हैं हसीन जिंदगी ,

और दोस्ती इसी का नाम है |

Thursday, November 22, 2012

अभी तो बाकी हैं


अभी  तो बाकी हैं

एक रात और जाने को हैं, 
अभी तो एक नई सुबह का इंतजार बाकी हैं ।
 
चांदनी धरती पर पड़ चुकी, 
अभी तो सूरज की किरण का स्पर्श बाकी हैं ।


Thursday, September 27, 2012

ठोकर




ठोकर 

राह में आये रोड़े से ठोकर खाकर गिर गए,

किसी ने उफ़ तक न की और हँसते हुए चल दिए |